उज्जैन। नगर निगम एवं जिले की नगरीय निकायों में चुनावों के तीन वर्ष व्यतीत होने को आए है। सरकार को भी दो साल होने को आए हैं। इस बीच निकायों में एल्डरमेन की चाह में कई के कुर्तों में सिलवटें पड गई और कई धरातल पर हताश हो गए हैं। विषय विशेषज्ञ के नाम पर किस्मत खुलने का नाम ही नहीं ले रही है। यूं कहें की सरकार ने इस और अभी देखा ही नहीं हैं तो अतिश्योक्ति नही होगी। आगामी 2 माह में विषय विशेषज्ञ के नाम पर होने वाली इस राजनैतिक नियुक्ति का दरवाजा खुलने की संभावना प्रबल हो रही है।
तीन साल पहले नगरीय निकाय चुनावों के बाद जिले में बड़ी संख्या में मोहल्ले के नेता एल्डर मेन बनने के सपने देखने लगे। हालांकि, तीन साल बीतने के बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो पाया। अब जाकर इसकी प्रक्रिया जरुर शुरु हुई है। अब स्थिति यह बन रही है कि कई नेता एल्डरमेन का सपना संजोये बैठे है। जिससे एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बन रही है। ऐसे में अब इनका कार्यकाल केवल पौने दो साल ही रह गया है। उस दौर में टिकट से वंचित कई नेताओं के अलावा सक्रिय कार्यकर्ताओं को मनोनयन का इंतजार है।
बोर्ड के समापन तक एल्डरमेन नियुक्ति-
नगर निगम उज्जैन में कुल 54 वार्ड हैं। इसके तहत पूर्व नियमानुसार 6 एल्डरमेन की नियुक्ति पूर्व से यहां होती रही है। हालिया संशोधन से पूर्व तक इन 6 राजनैतिक नियुक्तियों में प्रचलित नियमानुसार ऐसे लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान है जो विषय विशेषज्ञ हों और राजनैतिक रूप से चुनाव जीतकर सदन में नहीं जा पाते हैं। इनमें महिला,अल्पसंख्यक एवं सभी वर्गों का समायोजन किया जाता रहा है। एल्डरमैन का कार्यकाल बोर्ड के समापन तक ही रहता है। ऐसे में अब जो एल्डरमैन बनाए जाने हैं उन्हें बहुत कम समय ही इसके लिए मिलना है।
हार वाले वार्ड रहेंगे निशाने पर-
बीते नगर निगम निर्वाचन में भाजपा ने प्रचंड रूप से जीत दर्ज की थी । इसके बावजूद शहर के 54 वार्डों में से कुछ खास वार्डों में उसे हार का मुंह देखना पडा था। ऐसे में जिन वार्डों में उसे हार का सामना देखना पडा है उस क्षेत्र के भाजपा के विशेष कार्यकर्ताओं को इसके लिए आगे लाकर एल्डरमेन के रूप में राजनैतिक रूप से निशाना साधते हुए काम किया जाएगा। इसके तहत वार्ड में राजनैतिक ,सामाजिक समीकरणों को भी बैलेंस किया जाएगा।
बिहार चुनाव,प्रदेश कार्यकारणी के बाद-
राजनैतिक समीक्षकों के अनुसार अभी तो प्रदेश की भाजपा का ध्यान बिहार चुनाव की और लगा हुआ है।संगठन एवं सत्ता दोनों ही केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में बिहार में जोर लगा रहे हैं । 14 नवंबर को बिहार के चुनाव संपन्न हो जाएंगे। इसके साथ ही तब तक प्रदेश संगठन कार्यकारणी भी तय हो चुकी होगी। इसके लिए प्रदेश की कोर कमेटी जरूर बन चुकी है जो निकाय स्तर से नामों को लेकर खोजबीन कर रही है। कोर कमेटी में संगठन एवं सत्ता का तालमेल रखा गया है।
